* बिहार /पटना: बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से पिछले समय में कई नवाचार लाए गए हैं। लगभग एक साल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव रहे चर्चित आईएएस अधिकारी केके पाठक ने सरकारी स्कूलों में निरीक्षण का नियम लाकर समस्याओं की जड़ तक पहुंचने की कोशिश की। अब शिक्षा विभाग के नए अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ उनसे एक कदम आगे निकल गए हैं। उन्होंने अभिभावकों और लोगों से सीधे जुड़कर स्कूलों से जुड़ी समस्याएं जानने के लिए टोल फ्री नंबर और व्हाट्सएप नंबर जारी किए। खास बात यह है कि यह तरीका कारगर भी साबित हो रहा है। ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में लोग स्कूलों, बच्चों और शिक्षकों से जुड़ी शिकायतें सीधे एसीएस को कर रहे हैं।
*कहा जा सकता है कि शिक्षा विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारी बीते एक साल में स्कूलों का सघन निरीक्षण करके जो काम नहीं कर सके, वो व्हाट्सएप नंबर जारी करने की एक साधारण पहल ने कर दिखाया। इसके जरिए स्कूली शिक्षा के विभिन्न मुद्दों से जुड़ी बड़ी संख्या में शिकायतें सीधे शिक्षा विभाग के एसीएस के कार्यालय तक पहुंच रही हैं। औरंगाबाद जिले के हसपुरा से एक व्यक्ति ने शिकायत की है कि स्कूल में एक शिक्षिका है जो कभी नहीं आती है, लेकिन प्रधानाध्यापक हर दिन उसकी उपस्थिति दर्ज करते हैं। एक अन्य शिकायत में कहा गया है कि स्कूल में दो शिक्षक हैं, लेकिन वे कभी नहीं आते हैं। इसी जिले के मदनपुर से कुछ लोगों ने स्कूल में मिड डे मील, पेयजल, शौचालय, भवन और बिजली कनेक्शन की कमी से संबंधित मुद्दे उठाए।
*बिहार में 75000 से अधिक सरकारी स्कूल हैं और उनमें से हर एक का भौतिक निरीक्षण करना मुश्किल कार्य रहा है। क्योंकि इस काम में बड़ी संख्या में पदाधिकारियों की जरूरत होती है। हालांकि, पिछले साल भौतिक निरीक्षण की शुरुआत तेजी से हुई थी, लेकिन सभी स्कूलों को कवर करना आसान नहीं था। सिस्टम में तुरंत बड़े सुधारात्मक उपाय किए बिना यह संभव नहीं हो सकता था। अब शिक्षा विभाग का मुखिया बदल गया तो नए एसीएस ने टोल फ्री नंबर के साथ-साथ पांच अलग-अलग व्हाट्सएप नंबर जारी कर दिए। इससे आम लोग स्कूलों संबंधित कोई भी शिकायत सीधे विभाग के आला पदाधिकारियों के सामने दर्ज करा सकते हैं। इस पहल से उच्च अधिकारियों को शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हालात की वास्तविक जानकारी तुरंत मिल रही है।
*बांका, बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, गोपालगंज, जहानाबाद, लखीसराय, मधेपुरा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नालंदा और राज्य भर के कई अन्य जिलों से भी इसी तरह की शिकायतें आनी शुरू हो गई हैं। गया के एक शिकायतकर्ता ने बताया कि वहां के स्कूल में हेडमास्टर कभी समय से स्कूल नहीं आते और पहले ही चले जाते हैं। दूसरे शिकायतकर्ता ने बताया कि स्कूल कभी भी तय समय पर नहीं खुला। वहीं, एक अन्य व्यक्ति ने शिकायत की है कि स्कूल में नामांकित छात्रों की संख्या और उपस्थित छात्रों की संख्या का विवरण भेजा। उसने बताया कि छात्रों की संख्या में हेरफेर कर मिड डे मील में धांधली हो रही है।
*अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने कहा कि शिक्षा विभाग ने सभी शिकायतों को सत्यापित करने के लिए वैध मोबाइल नंबर के साथ उन्हें पंजीकृत किया जा रहा है। उन पर तुरंत कार्रवाई करने के लिए शिकायतों को संबंधित पदाधिकारियों को भेजना शुरू कर दिया गया है। हमारा प्रयास सिर्फ कमियों को जानना नहीं, बल्कि उनपर समय से कार्रवाई करके उन्हें दूर करना है। एसीएस ने स्पष्ट किया कि वह शिक्षकों पर नियम नहीं थोपना चाहते हैं, लेकिन टीचर्स को भी अपने बच्चों के लिए रोल मॉडल बनकर दिखाना होगा।
*उन्होंने कहा कि फोन और व्हाट्सएप पर शिकायत करने की व्यवस्था साल भर जारी रहेगी। ताकि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक सीधे विभाग से जुड़ सकेंगे। एसीएस ने बताया कि जीविका दीदियां पूरे राज्य में एक मजबूत ताकत बनकर उभर रही हैं। शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के बजाय वे स्कूलों का अप्रत्यक्ष रूप से निरीक्षण करेंगी, क्योंकि उनके बच्चे उन स्कूलों में पढ़ते हैं। वे हमेशा चाहेंगी कि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले।
*एस सिद्धार्थ ने आगे कहा कि विभाग हर शिकायत के प्रति संवेदनशील है और सभी मुद्दों का समाधान करेगा। अधिकारी तय समय में उनपर आवश्यक कार्रवाई करेंगे। जनता से सीधे फीडबैक मिलना विभाग के लिए बहुत बड़ी बात है। हम चाहते हैं कि समाज स्कूलों का स्वामित्व अपने हाथ में ले। शिक्षक अपने और बच्चों के हित में खुद का नियमन करें। स्कूलों में निरीक्षण की जरूरत कभी न पड़े, इसके लिए शिक्षकों को अहम भूमिका निभानी होगी।